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How many states and union territories are there in India in 2019, article 370

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भारत में अभी किनते राज्य और केंद शासित क्षेत्र हैं 

बात करें आज से पहले की तो भारत में 29 राज्य और सात केंद्र शासित क्षेत्र हुआ करते थे लेकिन आज की बात करें तो भारत में राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों की संख्या में काफी बदलाव आया है आज के इस blog में इस  बारे में बात करने वाला हूं कि भारत में कितने राज्य और कितने केंद्र शासित क्षेत्र हैं
jammu and kasmir

मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्य सभा में एक इतिहास संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के विभाजन जम्मू कश्मीर एवं व्यक्तित्व केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपने विधायक विधायक वाली केंद्र शासित क्षेत्र होगा.

बात करे केंद्र शासित क्षेत्रों तो की केंद्र शासित क्षेत्र भी दो तरह के होते हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं दिल्ली और पन्दुचेरी  में विधायक होते हैं और बाकी जितने भी केंद्र शासित क्षेत्र है उसमे कोई भी विधायक नहीं होता, वह पर सारे काम केंद्र सरकार चलाती है जम्मू कश्मीर को अलग कर जम्मू और कश्मीर  और लद्दाख बाना दिया गया है 
जम्मू कश्मीर में भी दिल्ली की तरह ही 5 सालो में  विधानसभा के चुनाव होंगे जिसमें मुख्यमंत्री चुने जाएंगे और मैं अगर बात करूं लद्दाख की तो वहां पर कोई भी चुनाव नहीं होंगे वह पूर्ण रूप से केंद्र शासित क्षेत्र है सिर्फ  सरकारी अपने सारे कामकाज वहां पर केंद सरकार करेगी | जम्मू एंड कश्मीर पर केंद्र सरकार अपना कुछ हक़ जताने के लिए उपराज्यपाल घोषित करेगी|
इस तरह से अब भारत में 28 राज्य और 9 केंद शासित क्षेत होंगे 

जानें क्या है आर्टिकल 370?

आर्टिकल 370 को 17 नवंबर 1952 से लागू किया गया था. यह आर्टिकल कश्मीर के लोगों को बहुत सुविधाएँ देता है जो कि भारत के अन्य नागरिकों को नहीं मिलतीं हैं. यह आर्टिकल स्पष्ट रूप से कहता है कि रक्षा, विदेशी मामले और संचार के सभी मामलों में पहल भारत सरकार करेगी. आर्टिकल 370 के कारण जम्मू कश्मीर का अपना संविधान है और इसका प्रशासन इसी के अनुसार चलाया जाता है ना कि भारत के संविधान के अनुसार.
जम्मू और कश्मीर को भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है. यहाँ की हरी भरी वादियाँ, साफ स्वच्छ हवा और पानी इस प्रदेश को वाकई स्वर्ग सा बना देते हैं. लेकिन कुछ सालों से कश्मीर की इन वादियों में बारूद की दुर्गन्ध आ रही है. इसके पीछे कारण है यहाँ के अलगावबादी नेताओं की स्वार्थपरक राजनीति और कुछ कानूनी पेचगीदियाँ जैसे आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A.
भारत को आजादी मिलने के बाद अगस्त 15, 1947 को जम्मू और कश्मीर भी आजाद हो गया था. भारत की स्वतन्त्रता के समय राजा हरि सिंह यहाँ के शासक थे, जो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य रखना चाहते थे. लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान समर्थित ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और काफी हिस्सा हथिया लिया था. 
इस परिस्थिति में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू & कश्मीर की रक्षा के लिए शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू & कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और "Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India" पर अपने हस्ताक्षर कर दिये.इस नये समझौते के तहत जम्मू & कश्मीर ने भारत के साथ सिर्फ तीन विषयों: रक्षा, विदेशी मामले और संचार को भारत के हवाले कर दिया था. समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत सरकार ने वादा किया कि “'इस राज्य के लोग अपने स्वयं की संविधान सभा के माध्यम से राज्य के आंतरिक संविधान का निर्माण करेंगे और जब तक राज्य की संविधान सभा शासन व्यवस्था और अधिकार क्षेत्र की सीमा का निर्धारण नहीं कर लेती हैं तब तक भारत का संविधान केवल राज्य के बारे में एक अंतरिम व्यवस्था प्रदान कर सकता है.इस प्रतिबद्धता के साथ आर्टिकल 370 को भारत के संविधान में शामिल किया गया था. जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जम्मू&कश्मीर राज्य के संबंध में ये प्रावधान केवल अस्थायी हैं. इन प्रावधानों को 17 नवंबर 1952 से लागू किया गया था.

अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने से ये  परिवर्तन

1. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन लेकर बस सकेंगे।
2. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा। मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराएगा। जम्मू-कश्मीर में अब तिरंगे का अपमान या उसे जलाना या नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध की श्रेणी में आएगा।
3. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है। अब वहां भी भारत का संविधान लागू होगा।
4. जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
5. जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे।

6. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी।
7. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता होगी। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
8. अनुच्छेद-370 में पहले भी कई बदलाव हुए हैं। 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
9. अनुच्छेद-370 को खत्म करने की मंजूरी राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी। दरअसल ये अनुच्छेद पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया था। इसलिए इसे खत्म करने के लिए संसद से पारित कराने की आवश्यकता नहीं थी। संसद में केवल दोनों राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया है।
10. जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि पांच वर्ष का ही होगा।

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